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संसद के दोनों सदनों की अलग-अलग सचिवालय क्यों होते हैं?
संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के अलग-अलग सचिवालय (Secretariats) होने के मुख्य कारण उनकी स्वतंत्रता, कार्यों की विशिष्ट प्रकृति और संवैधानिक प्रावधान हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 98 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संसद के प्रत्येक सदन का अपना अलग सचिवालय होगा। यहाँ प्रमुख कारण दिएRead more
संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के अलग-अलग सचिवालय (Secretariats) होने के मुख्य कारण उनकी स्वतंत्रता, कार्यों की विशिष्ट प्रकृति और संवैधानिक प्रावधान हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 98 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संसद के प्रत्येक सदन का अपना अलग सचिवालय होगा।
यहाँ प्रमुख कारण दिए गए हैं:
1. संवैधानिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता (Constitutional Autonomy and Independence)
सदन की संप्रभुता: प्रत्येक सदन (लोकसभा और राज्यसभा) को अपने कार्य संचालन और अपनी प्रक्रिया को नियंत्रित करने की पूरी स्वायत्तता प्राप्त है। अलग सचिवालय इस स्वायत्तता को सुनिश्चित करता है।
अध्यक्ष/सभापति का नियंत्रण: अलग सचिवालय, अध्यक्ष (लोकसभा) और सभापति (राज्यसभा) को अपने-अपने सदन के प्रशासन और कार्यप्रणाली पर पूर्ण नियंत्रण रखने में सक्षम बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सचिवालय किसी भी बाहरी राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव से मुक्त होकर काम करे।
2. विशिष्ट कार्य और प्रक्रियात्मक आवश्यकताएँ (Distinct Functions and Procedural Needs)
भिन्न नियम: दोनों सदनों की कार्य संचालन प्रक्रिया, नियम और विशेषाधिकार अलग-अलग हैं (उदाहरण के लिए, धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है)। सचिवालय इन विशिष्ट नियमों के ज्ञान और उनके सटीक क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
भिन्न कार्यभार: लोकसभा, निम्न सदन होने के नाते, जनता के सीधे प्रतिनिधित्व से संबंधित मामलों और वित्तीय विधेयकों (Money Bills) के कारण अधिक कार्यभार संभालती है। राज्यसभा, राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के कारण, राज्यों से संबंधित मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है।
सेवानिवृत्ति/कार्यकाल: चूंकि राज्यसभा एक स्थायी सदन है और लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, सचिवालयों की संगठनात्मक योजनाएँ और कार्मिक नीतियाँ भी इन अंतरों को दर्शाती हैं।
3. दक्षता और विशेषज्ञता (Efficiency and Specialization)
अलग सचिवालय स्टाफ को केवल अपने संबंधित सदन के विशेष नियमों, प्रक्रियाओं और विधायी इतिहास में विशेषज्ञता प्राप्त करने की अनुमति देता है, जिससे वे अधिक कुशल और सटीक तरीके से अपने कार्यों को पूरा कर पाते हैं।
See lessसंसद में सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रमुख साधन क्या है?
संसद में सरकार की जवाबदेही (Accountability) सुनिश्चित करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख और प्रभावी साधन निम्नलिखित हैं: 1. प्रश्नकाल (Question Hour) प्रश्नकाल वह सबसे शक्तिशाली और नियमित साधन है जिसके द्वारा संसद सदस्य (सांसद) मंत्रियों से उनके प्रशासनिक कार्यों और नीतियों सेRead more
संसद में सरकार की जवाबदेही (Accountability) सुनिश्चित करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख और प्रभावी साधन निम्नलिखित हैं:
1. प्रश्नकाल (Question Hour)
प्रश्नकाल वह सबसे शक्तिशाली और नियमित साधन है जिसके द्वारा संसद सदस्य (सांसद) मंत्रियों से उनके प्रशासनिक कार्यों और नीतियों से संबंधित प्रश्न पूछते हैं।
जवाबदेही का आधार: यह सरकार को उसकी नीतियों और प्रदर्शन पर तत्काल जवाब देने के लिए बाध्य करता है।
नियमितता: यह प्रत्येक संसदीय बैठक के पहले घंटे (सामान्यतः 11:00 बजे से 12:00 बजे तक) में होता है।
प्रकार: प्रश्नों के तीन मुख्य प्रकार होते हैं: तारांकित (Starred), अतारांकित (Unstarred), और अल्प-सूचना प्रश्न (Short Notice Question)।
2. शून्यकाल (Zero Hour)
प्रश्नकाल के तुरंत बाद शुरू होने वाला शून्यकाल (Zero Hour) एक अनौपचारिक साधन है जहाँ सदस्य बिना पूर्व सूचना दिए सार्वजनिक महत्व के अत्यावश्यक मामले उठाते हैं।
तत्काल ध्यान: यह सरकार का ध्यान तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दों की ओर खींचता है, जिससे सरकार को उन पर कार्रवाई करने के लिए दबाव पड़ता है।
3. अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion)
यह संसदीय लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का अंतिम और सबसे कठोर साधन है।
परिभाषा: यदि लोकसभा के सदस्यों को लगता है कि मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) को सदन का विश्वास प्राप्त नहीं है, तो वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।
परिणाम: यदि यह प्रस्ताव लोकसभा में पारित हो जाता है, तो प्रधानमंत्री सहित पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
4. विभिन्न संसदीय समितियाँ (Parliamentary Committees)
संसदीय समितियाँ, विशेषकर वित्तीय समितियाँ, सरकार के कामकाज और वित्तीय प्रबंधन की गहन जाँच करके जवाबदेही सुनिश्चित करती हैं।
लेखापरीक्षा: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जाँच करती है, यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक धन का उपयोग संसद द्वारा अनुमोदित तरीके से किया गया है।
अन्य समितियाँ: प्राक्कलन समिति, सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति, और विभागीय स्थायी समितियाँ भी सरकार के व्यय, नीतियों और विधेयकों की जाँच करती हैं।
संक्षेप में, हालांकि सभी साधन महत्वपूर्ण हैं, प्रश्नकाल दैनिक आधार पर सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला और सीधा साधन है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव जवाबदेही सुनिश्चित करने का सबसे निर्णायक साधन है।
See lessसंसद में अल्पकालिक चर्चा का उद्देश्य क्या है?
संसद में अल्पकालिक चर्चा (Short Duration Discussion) का मुख्य उद्देश्य अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करना और उस पर चर्चा करना है। इसे लोकसभा में नियम 193 और राज्यसभा में नियम 176 के तहत उठाया जाता है। 🎯 अल्पकालिक चर्चा के प्रमुख उद्देश्य जनहित के अत्यावश्यक मामलों परRead more
संसद में अल्पकालिक चर्चा (Short Duration Discussion) का मुख्य उद्देश्य अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करना और उस पर चर्चा करना है।
इसे लोकसभा में नियम 193 और राज्यसभा में नियम 176 के तहत उठाया जाता है।
🎯 अल्पकालिक चर्चा के प्रमुख उद्देश्य
जनहित के अत्यावश्यक मामलों पर चर्चा: इसका प्राथमिक उद्देश्य किसी ऐसे विषय को उठाना है जो तत्काल और गंभीर सार्वजनिक महत्व का हो, जिस पर व्यापक बहस और विचार-विमर्श की आवश्यकता हो।
उदाहरण: किसी प्राकृतिक आपदा, सीमा विवाद, या किसी बड़े नीतिगत मुद्दे पर चर्चा।
सरकार को जवाबदेह बनाना: इस चर्चा के माध्यम से सदस्यगण सरकार से संबंधित मामले पर स्पष्टीकरण मांगते हैं और सरकार को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह बनाते हैं।
औपचारिक प्रस्ताव और मतदान से बचना: यह एक ऐसी चर्चा है जिसमें कोई औपचारिक प्रस्ताव (Formal Motion) नहीं होता है और न ही इसके अंत में मतदान होता है। इसका उद्देश्य केवल चर्चा करना है।
संसदीय समय का आवंटन: लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) या राज्यसभा सभापति (Chairman) ऐसी चर्चा के लिए सप्ताह में दो दिन आवंटित कर सकते हैं, जिससे सदस्यों को गंभीर मुद्दों पर बात करने का अवसर मिल सके।
अनौपचारिक साधन: यह संसद के पास उपलब्ध उन अनौपचारिक साधनों में से एक है जो उसे बिना किसी कठोर प्रक्रियात्मक बाधा के तत्काल मुद्दों पर विचार करने की अनुमति देता है।
संक्षेप में, यह एक ऐसा साधन है जो सांसदों को विलंब किए बिना राष्ट्रीय महत्व के किसी भी ज्वलंत विषय को सदन के पटल पर लाने का अवसर प्रदान करता है।
See lessसंसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव कौन ला सकता है?
संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव (विधेयक) निम्नलिखित में से किसी के द्वारा लाया जा सकता है: कोई भी मंत्री (Minister): यदि विधेयक सरकार द्वारा लाया जाता है, तो उसे मंत्री द्वारा पेश किया जाता है। इसे सरकारी विधेयक (Government Bill) कहते हैं। कोई भी निजी सदस्य (Private Member): यानी, संसद का कोईRead more
संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव (विधेयक) निम्नलिखित में से किसी के द्वारा लाया जा सकता है:
कोई भी मंत्री (Minister): यदि विधेयक सरकार द्वारा लाया जाता है, तो उसे मंत्री द्वारा पेश किया जाता है। इसे सरकारी विधेयक (Government Bill) कहते हैं।
कोई भी निजी सदस्य (Private Member): यानी, संसद का कोई भी ऐसा सदस्य जो मंत्री नहीं है। इसे निजी सदस्य विधेयक (Private Member’s Bill) कहते हैं।
📝 महत्वपूर्ण तथ्य
सदन: संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा या राज्यसभा किसी भी सदन में पहले पेश किया जा सकता है।
राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति: संविधान संशोधन विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
राज्य विधानमंडल की शक्ति: राज्य विधानमंडल संविधान संशोधन की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकते हैं (सिर्फ एक अपवाद को छोड़कर, जो राज्यों में विधान परिषदों के निर्माण या उन्मूलन का प्रस्ताव पारित करना है)।
शक्ति: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करने की शक्ति केवल संसद को प्राप्त है।
See lessभारत की संसद के दो सदन कौन-कौन से हैं?
भारत की संसद (Parliament of India) के दो सदन हैं: लोकसभा (Lok Sabha) इसे निम्न सदन (Lower House) या जनता का सदन (House of the People) भी कहा जाता है। इसके सदस्य सीधे भारत के लोगों द्वारा चुने जाते हैं। इसका सामान्य कार्यकाल पाँच (5) वर्षों का होता है। राज्यसभा (Rajya Sabha) इसे उच्च सदन (UpperRead more
भारत की संसद (Parliament of India) के दो सदन हैं:
लोकसभा (Lok Sabha)
इसे निम्न सदन (Lower House) या जनता का सदन (House of the People) भी कहा जाता है।
इसके सदस्य सीधे भारत के लोगों द्वारा चुने जाते हैं।
इसका सामान्य कार्यकाल पाँच (5) वर्षों का होता है।
राज्यसभा (Rajya Sabha)
इसे उच्च सदन (Upper House) या राज्यों की परिषद (Council of States) भी कहा जाता है।
इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
यह एक स्थायी सदन है और यह कभी भंग नहीं होती है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह (6) वर्ष का होता है।
See lessलोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव कौन करता है?
लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यगण करते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं: चुनावकर्ता: लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) का चुनाव लोकसभा के सदस्यों में से ही साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है। संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में इसका प्रावधान है। चुनाव की तिथि: अध्यक्ष के चुRead more
लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यगण करते हैं।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
चुनावकर्ता: लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) का चुनाव लोकसभा के सदस्यों में से ही साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है।
संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में इसका प्रावधान है।
चुनाव की तिथि: अध्यक्ष के चुनाव की तिथि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है।
प्रक्रिया: नवगठित लोकसभा की पहली बैठकों में से एक में, सदस्यगण अपने बीच से ही एक सदस्य को अध्यक्ष चुनते हैं।
See lessराज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह (6) वर्षों का होता है। राज्यसभा से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य: स्थायी सदन: राज्यसभा एक स्थायी सदन है और यह कभी भंग नहीं होती है। सदस्यों की सेवानिवृत्ति: इसके एक-तिहाई (1/3) सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं, और उनके स्थान पर नए सदस्यों का चुनाव होताRead more
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह (6) वर्षों का होता है।
राज्यसभा से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
स्थायी सदन: राज्यसभा एक स्थायी सदन है और यह कभी भंग नहीं होती है।
सदस्यों की सेवानिवृत्ति: इसके एक-तिहाई (1/3) सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं, और उनके स्थान पर नए सदस्यों का चुनाव होता है।
चुनाव: सदस्यों का चुनाव राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से होता है।
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