बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल क्या पूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा
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### **ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की पूर्ति का प्रभाव**
ब्रिटेन का औद्योगीकरण मुख्य रूप से **कच्चे माल (Raw Materials)** की पर्याप्त उपलब्धता पर निर्भर था। औद्योगिक क्रांति (18वीं-19वीं शताब्दी) के दौरान, ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों और प्राकृतिक संसाधनों का व्यापक उपयोग किया, जिससे औद्योगीकरण की गति तेज हो गई।
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## **1. वस्त्र उद्योग और कपास की आपूर्ति**
– ब्रिटेन का **कपड़ा उद्योग (Textile Industry)** औद्योगीकरण का प्रमुख आधार था।
– **कच्चे कपास (Raw Cotton)** की आपूर्ति मुख्य रूप से **भारत, अमेरिका और मिस्र** से की जाती थी।
– **”ईस्ट इंडिया कंपनी”** के माध्यम से भारत से सस्ते दामों पर कपास मंगाया गया और ब्रिटेन में मिलों में कपड़ा बनाया गया।
– **स्पिनिंग जेनी, पावर लूम और भाप इंजन** के विकास ने कपड़ा उत्पादन को तेज कर दिया, जिससे ब्रिटेन **विश्व का प्रमुख कपड़ा निर्यातक बन गया।**
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## **2. कोयला और लोहे की उपलब्धता**
– ब्रिटेन में **प्राकृतिक रूप से कोयला (Coal) और लोहा (Iron) के बड़े भंडार** थे।
– **कोयला** का उपयोग **भाप इंजन (Steam Engine)** चलाने और **ऊर्जा उत्पादन** के लिए किया गया।
– **अब्राहम डर्बी** ने कोयले से **”कोक”** बनाकर लोहे को गलाने की नई तकनीक विकसित की, जिससे **इस्पात (Steel) उद्योग** को बढ़ावा मिला।
– लोहे और इस्पात का उपयोग **रेलवे, पुल, मशीनों और जहाजों** के निर्माण में हुआ।
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## **3. उपनिवेशों से अन्य कच्चे माल की आपूर्ति**
– ब्रिटेन के उपनिवेशों ने **अन्य आवश्यक कच्चे माल** की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
– **जूट और सिल्क** – भारत और चीन से।
– **गन्ना (Sugarcane)** – वेस्ट इंडीज और अफ्रीका से।
– **रबर** – मलेशिया और अफ्रीका से।
– **लकड़ी और मसाले** – दक्षिण पूर्व एशिया और कैरिबियन से।
– इन कच्चे मालों से ब्रिटेन में **नए उद्योगों का विकास** हुआ, जैसे – **चीनी मिल, रबर उद्योग और जहाज निर्माण।**
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## **4. परिवहन और व्यापार मार्गों का विकास**
– **ब्रिटेन ने अपने व्यापार मार्गों और नौसैनिक शक्ति को मजबूत किया** ताकि वह कच्चे माल को आसानी से ला सके।
– **सुएज़ नहर (1869) के खुलने** से भारत से ब्रिटेन के बीच कच्चे माल का परिवहन तेज हो गया।
– **रेलवे, भाप जहाज और बेहतर सड़कें** बनने से ब्रिटेन में औद्योगीकरण की रफ्तार बढ़ी।
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## **5. भारतीय और अन्य उपनिवेशों की अर्थव्यवस्था पर असर**
– ब्रिटेन ने **भारत और अन्य उपनिवेशों से सस्ते दामों पर कच्चा माल लिया और महंगे दामों पर तैयार माल बेचा।**
– इससे **भारतीय पारंपरिक कुटीर उद्योग नष्ट हो गए** और उपनिवेश केवल कच्चा माल सप्लाई करने वाले केंद्र बनकर रह गए।
– ब्रिटिश उद्योगों को फायदा हुआ, लेकिन **भारत और अन्य उपनिवेशों की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई।**
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### **निष्कर्ष**
ब्रिटेन का औद्योगीकरण **कच्चे माल की आसान और सस्ती उपलब्धता** पर निर्भर था। कपास, कोयला, लोहा, रबर और गन्ने जैसी वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति ने ब्रिटेन को **वैश्विक औद्योगिक शक्ति** बना दिया। हालाँकि, इसने उपनिवेशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया और वैश्विक असमानता को बढ़ाया।