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Antibiotics kis type ke infections ke liye effective hote hain?
Antibiotics are effective against bacterial infections, meaning they treat infections caused by bacteria. Antibiotics work by either killing bacteria or inhibiting their growth. Types of infections treated by antibiotics: 1. Respiratory infections: Such as pneumonia, pleurisy, tRead more
Antibiotics are effective against bacterial infections, meaning they treat infections caused by bacteria. Antibiotics work by either killing bacteria or inhibiting their growth.
Types of infections treated by antibiotics:
1. Respiratory infections:
Such as pneumonia, pleurisy, tuberculosis.
2. Urinary tract infections (UTIs):
Such as cystitis, pyelonephritis.
3. Skin infections:
Such as skin abscesses, folliculitis.
4. Throat and nasal infections:
Such as tonsillitis, sinusitis.
5. Gastrointestinal infections:
Such as cholera, enteritis.
Important points:
Antibiotics are not effective against viral infections (such as cold, flu, COVID-19). For viral infections, antiviral medications are required.
It’s important to use antibiotics as prescribed by a docto
r to treat the right kind of infection.
See lessKaunsa acid stomach me digestion ke liye important hai?
The main acid important for digestion in the stomach is hydrochloric acid (HCl). Role of Hydrochloric Acid: 1. Activating digestive enzymes: It activates pepsinogen to pepsin, which helps break down proteins. 2. Maintaining pH levels: The stomach mainRead more
The main acid important for digestion in the stomach is hydrochloric acid (HCl).
Role of Hydrochloric Acid:
1. Activating digestive enzymes:
It activates pepsinogen to pepsin, which helps break down proteins.
2. Maintaining pH levels:
The stomach maintains a pH level of about 1.5-3.5, which is optimal for food digestion.
3. Killing harmful microbes:
Hydrochloric acid kills bacteria and other pathogens that may enter the stomach with food.
4. Breaking down food:
It helps break down large food molecules into smaller ones.
Hydrochloric acid is essential for digestion, and an imbalance c
an lead to gastric problems.
See lessविश्व की सबसे पुरानी संस्कृति कौन है?
विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति में से एक सुमेरियन सभ्यता (Sumerian Civilization) मानी जाती है, जो प्राचीन मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक) में विकसित हुई थी। सुमेरियन सभ्यता का परिचय: 1. कालखंड: लगभग 3100 ईसा पूर्व से 2000 ईसा पूर्व तक। 2. स्थान: मेसोपोटामियRead more
विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति में से एक सुमेरियन सभ्यता (Sumerian Civilization) मानी जाती है, जो प्राचीन मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक) में विकसित हुई थी।
सुमेरियन सभ्यता का परिचय:
1. कालखंड:
लगभग 3100 ईसा पूर्व से 2000 ईसा पूर्व तक।
2. स्थान:
मेसोपोटामिया, जिसे “दजला (Tigris) और फरात (Euphrates) नदियों के बीच की भूमि” कहा जाता है।
3. विशेषताएँ:
सबसे पहले शहरों (उर, उरुक, लगश) का विकास।
लिपि: सुमेरियन सभ्यता में पहली लिखित लिपि कीलाक्षर लिपि (Cuneiform) का आविष्कार किया गया।
धर्म: बहुदेववादी (Polytheistic) धर्म का पालन।
विज्ञान और गणित: उन्होंने समय का 60-आधारित प्रणाली (घंटे, मिनट, और सेकंड) विकसित की।
अन्य पुरानी सभ्यताएँ:
1. हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता):
लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व।
वर्तमान भारत और पाकिस्तान के क्षेत्र में।
2. मिस्र की सभ्यता:
लगभग 3000 ईसा पूर्व से 332 ईसा पूर्व।
गीज़ा के पिरामिड और नील नदी पर आधारित।
3. चीनी सभ्यता:
लगभग 2070 ईसा पूर्व से शुरू हुई।
ह्वांग हो नदी के पास विकसित।
इनमें से सुमेरियन
सभ्यता को सबसे पुरानी और संगठित संस्कृति माना जाता है।
See lessसबसे ठंडा ग्रह कौन सा है?
सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह यूरेनस (Uranus) है। कारण और मुख्य विशेषताएँ: 1. तापमान: यूरेनस पर औसत तापमान लगभग -224 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। यह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है, क्योंकि इसकी गर्मी का उत्सर्जन बहुत कम होता है। 2. सूर्य से दूरी: Read more
सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह यूरेनस (Uranus) है।
कारण और मुख्य विशेषताएँ:
1. तापमान:
यूरेनस पर औसत तापमान लगभग -224 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।
यह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है, क्योंकि इसकी गर्मी का उत्सर्जन बहुत कम होता है।
2. सूर्य से दूरी:
यूरेनस सौरमंडल का सातवां ग्रह है और सूर्य से काफी दूर स्थित है।
हालांकि, यह नेपच्यून के करीब है, लेकिन अपनी आंतरिक गर्मी न खोने के कारण नेपच्यून की तुलना में यह अधिक ठंडा है।
3. वायुमंडल:
इसके वायुमंडल में मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम, और मीथेन गैसें हैं।
मीथेन गैस लाल और नारंगी रंगों को अवशोषित करती है और नीले-हरे रंग को परावर्तित करती है, जिससे यह ग्रह नीला दिखाई देता है।
यूरेनस की ठंडक और अन्य अनूठी विशेषताओं के कारण इसे “आइस जाइंट” (Ice Giant)
के रूप में भी जाना जाता है।
See lessसिख धर्म के संस्थापक कौन थे?
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी थे। गुरु नानक देव जी के बारे में मुख्य जानकारी: 1. जन्म: 15 अप्रैल 1469 (कार्तिक पूर्णिमा के अनुसार), तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)। 2. संदेश: गुरु नानक देव जी ने भाईचारे, एकेश्वरवाद, और मानवता की सेवा का संदेश दिया। Read more
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी थे।
गुरु नानक देव जी के बारे में मुख्य जानकारी:
1. जन्म: 15 अप्रैल 1469 (कार्तिक पूर्णिमा के अनुसार), तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)।
2. संदेश: गुरु नानक देव जी ने भाईचारे, एकेश्वरवाद, और मानवता की सेवा का संदेश दिया।
3. मुख्य शिक्षाएँ:
एक ओंकार: ईश्वर एक है।
नाम जपो: भगवान के नाम का स्मरण करो।
किरत करो: ईमानदारी से काम करो।
वंड छको: दूसरों के साथ अपनी संपत्ति बांटो।
4. भ्रमण: उन्होंने भारत, तिब्बत, अरब और फारस सहित कई स्थानों की यात्रा की और अपने उपदेश दिए।
5. महान ग्रंथ: सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में उनकी वाणियां संकलित हैं।
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु हैं और उनके द्वारा दी गई शिक्षाएँ आज भी
सिख धर्म के मूल स्तंभ हैं।
See lessरुधिर उत्तक क्या है
रुधिर उत्तक (Blood Tissue) एक प्रकार का तरल संयोजी उत्तक (Fluid Connective Tissue) है, जो शरीर में विभिन्न कार्यों को पूरा करता है। यह संपूर्ण शरीर में परिवहन का कार्य करता है। रुधिर उत्तक की संरचना: 1. प्लाज्मा (Plasma): यह रक्त का तरल भाग है और लगभग 55% रक्त में होता है।Read more
रुधिर उत्तक (Blood Tissue) एक प्रकार का तरल संयोजी उत्तक (Fluid Connective Tissue) है, जो शरीर में विभिन्न कार्यों को पूरा करता है। यह संपूर्ण शरीर में परिवहन का कार्य करता है।
रुधिर उत्तक की संरचना:
1. प्लाज्मा (Plasma):
यह रक्त का तरल भाग है और लगभग 55% रक्त में होता है।
इसमें जल, प्रोटीन, ग्लूकोज, खनिज लवण, हार्मोन और अपशिष्ट पदार्थ होते हैं।
2. रक्त कोशिकाएँ (Blood Cells):
लाल रक्त कणिकाएँ (RBCs):
हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण ऑक्सीजन का परिवहन करती हैं।
श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBCs):
रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं।
बिंबाणु (Platelets):
रक्त का थक्का जमाने (Clotting) में मदद करती हैं।
रुधिर उत्तक के कार्य:
1. परिवहन:
ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्व और अपशिष्ट पदार्थों का शरीर में परिवहन करता है।
2. सुरक्षा:
संक्रमण और रोगों से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
3. संतुलन:
शरीर के तापमान और पीएच स्तर को नियंत्रित करता है।
रुधिर उत्तक संपूर्ण शरीर के लिए आवश्यक कार्य करता है औ
र जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessफल के अंदर बीज उत्पन्न करने वाला पौधा है
फल के अंदर बीज उत्पन्न करने वाले पौधों को आवृतबीजी पौधे (Angiosperms) कहा जाता है। विशेषताएँ: 1. फल का निर्माण: इनमें बीज एक फल के अंदर सुरक्षित रहते हैं। फल ओवरी (अंडाशय) के विकास से बनता है। 2. उदाहरण: आम (Mango) सेब (Apple) अंगRead more
फल के अंदर बीज उत्पन्न करने वाले पौधों को आवृतबीजी पौधे (Angiosperms) कहा जाता है।
विशेषताएँ:
1. फल का निर्माण:
इनमें बीज एक फल के अंदर सुरक्षित रहते हैं।
फल ओवरी (अंडाशय) के विकास से बनता है।
2. उदाहरण:
आम (Mango)
सेब (Apple)
अंगूर (Grapes)
टमाटर (Tomato)
आवृतबीजी पौधे पृथ्वी पर सबसे विकसित और वि
विध प्रकार के पौधे हैं।
See lessजल और खनिज का बहन किसके द्वारा किया जाता है
जल और खनिजों का परिवहन पौधों में जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) के माध्यम से किया जाता है: 1. जाइलम (Xylem): जाइलम जल और खनिजों को पौधों की जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाने का कार्य करता है। यह प्रक्रिया धनात्मक दाब (Root Pressure) और ट्रांसपिरेशन पुल (Transpiration Pull) के कारणRead more
जल और खनिजों का परिवहन पौधों में जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) के माध्यम से किया जाता है:
1. जाइलम (Xylem):
जाइलम जल और खनिजों को पौधों की जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाने का कार्य करता है।
यह प्रक्रिया धनात्मक दाब (Root Pressure) और ट्रांसपिरेशन पुल (Transpiration Pull) के कारण होती है।
2. फ्लोएम (Phloem):
फ्लोएम पौधों में पत्तियों से तैयार भोजन (ग्लूकोज) को पौधे के अन्य भागों तक पहुँचाता है।
यह प्रक्रिया स्रोत से सिंक तक (Source to Sink) होती है।
संक्षेप में, जल और खनिजों का परिवहन जाइ
लम द्वारा होता है।
See lessपेन का आविष्कार किसने किया था
पेन का आविष्कार कई चरणों में हुआ, और विभिन्न प्रकार के पेन के लिए अलग-अलग आविष्कारकों का योगदान है: 1. फाउंटेन पेन (Fountain Pen): इसका आविष्कार पेट्राचे पोएनारू (Petrache Poenaru) ने 1827 में किया। उन्होंने फाउंटेन पेन का पहला पेटेंट करवाया। 2. बॉलपॉइंट पेन (Ballpoint Pen): बॉलRead more
पेन का आविष्कार कई चरणों में हुआ, और विभिन्न प्रकार के पेन के लिए अलग-अलग आविष्कारकों का योगदान है:
1. फाउंटेन पेन (Fountain Pen):
इसका आविष्कार पेट्राचे पोएनारू (Petrache Poenaru) ने 1827 में किया। उन्होंने फाउंटेन पेन का पहला पेटेंट करवाया।
2. बॉलपॉइंट पेन (Ballpoint Pen):
बॉलपॉइंट पेन का आविष्कार लास्ज़लो बिरो (László Bíró) ने 1938 में किया। उन्होंने एक ऐसा पेन बनाया जिसमें स्याही की गेंद का उपयोग किया जाता था, जो लिखावट को सरल और चिकना बनाता है।
प्राचीन समय में, लोग लिखने के लिए रीड पेन, पंख पेन और नुकीले औजारों का उपयोग करते थे, लेकिन आधुनिक पेन का विकास इन आविष्कारों
से हुआ।
See lessस्विच का आविष्कार किसने किया था
स्विच का आविष्कार जॉन हेनरी होम्स (John Henry Holmes) ने 1884 में किया था। उन्होंने आर्क लैम्प के लिए पहला व्यावहारिक "क्विक ब्रेक स्विच" (Quick Break Switch) विकसित किया, जो विद्युत प्रवाह को तुरंत रोकने में सक्षम था। हालांकि, स्विच का विकास समय के साथ कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों के योगदानRead more
स्विच का आविष्कार जॉन हेनरी होम्स (John Henry Holmes) ने 1884 में किया था। उन्होंने आर्क लैम्प के लिए पहला व्यावहारिक “क्विक ब्रेक स्विच” (Quick Break Switch) विकसित किया, जो विद्युत प्रवाह को तुरंत रोकने में सक्षम था।
हालांकि, स्विच का विकास समय के साथ कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों के योगदान का परिणाम है
।
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