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महात्मा गांधी का प्रिय आहार क्या था?
महात्मा गांधी शाकाहारी थे और सात्विक भोजन पसंद करते थे. उन्हें दाल-चावल, फल, हरी सब्ज़ियां, और रोटी बहुत पसंद थी. वे ज़्यादा तेल, मसाला, और नमक नहीं खाते थे. महात्मा गांधी के प्रिय आहारों में ये चीज़ें शामिल थीं: दाल-चावल: प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर दाल-चावल गांधी जी को बहुत पसंद था. फल: गांRead more
महात्मा गांधी शाकाहारी थे और सात्विक भोजन पसंद करते थे. उन्हें दाल-चावल, फल, हरी सब्ज़ियां, और रोटी बहुत पसंद थी. वे ज़्यादा तेल, मसाला, और नमक नहीं खाते थे.
महात्मा गांधी के प्रिय आहारों में ये चीज़ें शामिल थीं:
दाल-चावल: प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर दाल-चावल गांधी जी को बहुत पसंद था.
फल: गांधी जी सभी तरह के फलों का स्वाद चखते थे.
हरी सब्ज़ियां: गांधी जी को हरी पत्तेदार सब्ज़ियां बहुत पसंद थीं.
रोटी: गुजराती परिवार में पैदा होने की वजह से बचपन से ही रोटी गांधी जी को पसंद थी.
दही: गांधी जी अक्सर अपने आहार में दही शामिल करते थे.
लौकी: गांधी जी लौकी को बहुत पसंद करते थे.
बैंगन: गांधी जी उबला हुआ बैंगन खाते थे.
पेड़े: छोटे और मुलायम मावे के पेड़े गुजरात में बहुत मशहूर हैं, गांधी जी को पेड़े बहुत
पसंद थे.
See less: भारत में 'राश्ट्रीय पर्व' कौन सा है?
भारत में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और गांधी जयंती राष्ट्रीय पर्व हैं. इन दिनों को धूमधाम से मनाया जाता है. ये रहे भारत के कुछ राष्ट्रीय पर्व: स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाने वाला यह त्योहार भारत की आज़ादी का प्रतीक है. यह दिन 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिलने की याद दिलाता है. गणतंत्Read more
- भारत में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और गांधी जयंती राष्ट्रीय पर्व हैं. इन दिनों को धूमधाम से मनाया जाता है.
- ये रहे भारत के कुछ राष्ट्रीय पर्व:
- स्वतंत्रता दिवस
- 15 अगस्त को मनाया जाने वाला यह त्योहार भारत की आज़ादी का प्रतीक है. यह दिन 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिलने की याद दिलाता है.
- गणतंत्र दिवस
- 26 जनवरी को मनाया जाने वाला यह त्योहार भारत के संविधान को अपनाए जाने की याद दिलाता है. यह दिन 1950 में भारत के संविधान लागू होने की याद दिलाता है.
- गांधी जयंती
- 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन का प्रतीक है. महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन भारत को आज़ादी दिलाने में लगा दिया था.
See lessऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस कब मनाया जाता है
ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस हर साल 26 मई को मनाया जाता है. इसे नेशनल सॉरी डे भी कहा जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद, अतीत में हुए अन्याय और दुर्व्यवहार को याद करना और स्वीकार करना है. खास तौर पर, 20वीं सदी में आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई और टोरेस स्ट्रेट द्वीपवासियों के बच्चों को उनके परिवारRead more
ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस हर साल 26 मई को मनाया जाता है. इसे नेशनल सॉरी डे भी कहा जाता है.
इस दिन को मनाने का मकसद, अतीत में हुए अन्याय और दुर्व्यवहार को याद करना और स्वीकार करना है. खास तौर पर, 20वीं सदी में आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई और टोरेस स्ट्रेट द्वीपवासियों के बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग करने के मामले में माफ़ी मांगी जाती है.
राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस से जुड़ी खास बातें:
साल 2008 में प्रधानमंत्री केविन रुड ने ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी लोगों से माफ़ी मांगी थी.
पहला राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस साल 1998 में मनाया गया था.
यह दिन, ‘ब्रिंगिंग देम होम’ रिपोर्ट के एक साल बाद मनाया गया था. यह रिपोर्ट, 20वीं सदी में बच्चों की चोरी से जुड़ी सरकारी जांच का नतीजा थी.
इस दिन को मनाने का मकसद, ऐतिहासिक गलतियों को स्वीकार करना और उनसे हुए आघात को समझना भी है.
See lessदूरबीन की खोज कब हुई
दूरबीन का आविष्कार सबसे पहले नीदरलैंड में 1608 में हुआ था. हालांकि, दूरबीन के असली आविष्कारक का पता लगाना मुश्किल है. दूरबीन पर पेटेंट के लिए आवेदन करने वाले पहले व्यक्ति नीदरलैंड के लेंस निर्माता हैंस लिपरशी थे. दूरबीन के इतिहास से जुड़ी कुछ और खास बातेंः दूरबीन के ज़रिए आकाश का अवलोकन करने वाले पहRead more
दूरबीन का आविष्कार सबसे पहले नीदरलैंड में 1608 में हुआ था. हालांकि, दूरबीन के असली आविष्कारक का पता लगाना मुश्किल है. दूरबीन पर पेटेंट के लिए आवेदन करने वाले पहले व्यक्ति नीदरलैंड के लेंस निर्माता हैंस लिपरशी थे.
दूरबीन के इतिहास से जुड़ी कुछ और खास बातेंः
दूरबीन के ज़रिए आकाश का अवलोकन करने वाले पहले व्यक्ति इतालवी खगोलशास्त्री गैलीलियो गैलीली थे.
गैलीलियो ने 1609 और 1610 में बृहस्पति, चंद्रमा, और शुक्र ग्रह का अवलोकन किया था.
गैलीलियो ने अपने अवलोकनों को ‘स्टारी मैसेंजर’ नाम से प्रकाशित किया था.
1668 में आइज़ैक न्यूटन ने पहला व्यावहारिक परावर्तक दूरबीन बनाया था.
1854 में इग्नाज़ियो पोरो ने पोरो प्रिज्म का आविष्कार किया था.
पोरो प्रिज्म की मदद से दूरबीनों की छवि की गुणवत्ता और चमक में सुधार हुआ.
See lessदिशासूचक यंत्र का आविष्कार कब हुआ
दिशा सूचक यंत्र या कम्पास का आविष्कार 2,000 साल से भी पहले हुआ था. यह यंत्र चीन के हान राजवंश (202 ईसा पूर्व - 220 ईस्वी) के दौरान बना था. दिशा सूचक यंत्र से जुड़ी कुछ खास बातें: कम्पास को लोडस्टोन या मैग्नेटाइट से बनाया जाता था. कम्पास में लोहे की सुई होती है जो स्वतंत्र रूप से घूमती है और हमेशा उतRead more
दिशा सूचक यंत्र या कम्पास का आविष्कार 2,000 साल से भी पहले हुआ था. यह यंत्र चीन के हान राजवंश (202 ईसा पूर्व – 220 ईस्वी) के दौरान बना था.
दिशा सूचक यंत्र से जुड़ी कुछ खास बातें:
कम्पास को लोडस्टोन या मैग्नेटाइट से बनाया जाता था.
कम्पास में लोहे की सुई होती है जो स्वतंत्र रूप से घूमती है और हमेशा उत्तर की ओर इशारा करती है.
कम्पास का इस्तेमाल समुद्री यात्रा में दिशा का पता लगाने के लिए किया जाता था.
16वीं शताब्दी तक, कम्पास का इस्तेमाल नौकायन जहाज़ों में आम तौर पर किया जाने लगा था. 20वीं शताब्दी की शुरुआत में तरल से भरे चुंबकीय कम्पास का इस्तेमाल होने लगा.
See lessमार्कोपोलो किस देश का निवासी था
मार्को पोलो इटली के वेनिस शहर के रहने वाले थे. मार्को पोलो एक इतालवी व्यापारी, खोजकर्ता, और राजदूत थे. वे 1271 से 1295 के बीच यूरोप से एशिया की यात्रा पर गए थे. मार्को पोलो के बारे में कुछ खास बातें: मार्को पोलो का जन्म 1254 ईस्वी में वेनिस में हुआ था. मार्को पोलो ने अपने पिता निकोलस पोलो और चाचा माRead more
मार्को पोलो इटली के वेनिस शहर के रहने वाले थे. मार्को पोलो एक इतालवी व्यापारी, खोजकर्ता, और राजदूत थे. वे 1271 से 1295 के बीच यूरोप से एशिया की यात्रा पर गए थे.
मार्को पोलो के बारे में कुछ खास बातें:
मार्को पोलो का जन्म 1254 ईस्वी में वेनिस में हुआ था.
मार्को पोलो ने अपने पिता निकोलस पोलो और चाचा मातेयो के साथ रेशम मार्ग की यात्रा की.
मार्को पोलो ने अपनी यात्राओं के बारे में लिखी गई किताब द ट्रैवल्स ऑफ़ मार्को पोलो को अंग्रेज़ी में मार्को पोलो की यात्रा के नाम से जाना जाता है.
मार्को पोलो की यात्राओं के बारे में लिखी गई किताब उस समय सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताब थी.
मार्को पोलो ने 1288-1292 ईस्वी के दौरान पांड्या साम्राज्य के शासनकाल में भारत का दौरा किया था.
See lessफ्रांस का पहला नाम क्या था
फ़्रांस का प्राचीन नाम 'गॉल' था. रोमन काल में, सेल्टिक-भाषी लोगों को गॉल कहा जाता था. 58 से 50 ईसा पूर्व के बीच, रोमनों ने गॉल पर विजय प्राप्त की थी. फ़्रांस से जुड़ी कुछ और खास बातें: फ़्रांस, पश्चिमी यूरोप का देश है. फ़्रांस की राजधानी पेरिस है. फ़्रांस, यूरोपीय संघ का सदस्य है. फ़्रांस को अक्सर 'Read more
फ़्रांस का प्राचीन नाम ‘गॉल’ था. रोमन काल में, सेल्टिक-भाषी लोगों को गॉल कहा जाता था. 58 से 50 ईसा पूर्व के बीच, रोमनों ने गॉल पर विजय प्राप्त की थी.
फ़्रांस से जुड़ी कुछ और खास बातें:
फ़्रांस, पश्चिमी यूरोप का देश है.
फ़्रांस की राजधानी पेरिस है.
फ़्रांस, यूरोपीय संघ का सदस्य है.
फ़्रांस को अक्सर ‘षट्कोण’ (“द हेक्सागोन”) के नाम से भी जाना जाता है.
फ़्रांस में 1789, 1830, और 1848 में तीन प्रमुख क्रांतियां हुईं.
21 सितंबर, 1792 को फ़्रांसीसी क्रांति के दौरान फ़्रांस में प्रथम गणराज्य की स्थापना हुई थी.
फ़्रांसीसी क्रांति के दौरान राजा लुई सोलहवें और उनकी पत्नी मैरी एंटोनेट का सिर काट दिया गया था.
See lessजर्मनी में सामंतवाद का प्रचलन कब हुआ
जर्मनी में सामंतवाद का प्रचलन 9वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुआ था. यह व्यवस्था 15वीं शताब्दी तक यूरोप में प्रमुख रही. सामंतवाद की खासियतें: सामंतवाद में, जागीरदारों को ज़मीन दी जाती थी, जिसके बदले में वे राजाओं और प्रभुओं को सैन्य सेवाएं देते थे. सामंतवाद में, भूमि स्वामित्व का पैटर्न कानूनी संबंधोंRead more
जर्मनी में सामंतवाद का प्रचलन 9वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुआ था. यह व्यवस्था 15वीं शताब्दी तक यूरोप में प्रमुख रही.
सामंतवाद की खासियतें:
सामंतवाद में, जागीरदारों को ज़मीन दी जाती थी, जिसके बदले में वे राजाओं और प्रभुओं को सैन्य सेवाएं देते थे.
सामंतवाद में, भूमि स्वामित्व का पैटर्न कानूनी संबंधों को निर्धारित करता था.
सामंतवाद में, जागीरों के पुरस्कारों से काम के लिए पारिश्रमिक की जगह ले ली जाती थी.
सामंतवाद में, किसी व्यक्ति के वोट की गिनती नहीं होती थी.
सामंतवाद के पतन के कारण: विनम्र संस्कृति का विकास, केंद्रीकृत राजतंत्र का उदय, आग्नेयास्त्रों का प्रचलन, राष्ट्रवाद और नौकरशाही का उदय, व्यापार का फिर से उभरना और विकसित होना.
See lessपोप का निवास स्थान कहा था
पोप का निवास स्थान वैटिकन सिटी है. यह रोम शहर में स्थित है. वैटिकन सिटी में पोप का सरकारी निवास वैटिकन पैलेस है. यह शहर की दीवारों के अंदर है. पोप के बारे में कुछ और जानकारीः पोप, रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु होते हैं. पोप, रोम के बिशप भी होते हैं. पोप, वैटिकन के राज्याध्यक्ष भी होते हैं.Read more
पोप का निवास स्थान वैटिकन सिटी है. यह रोम शहर में स्थित है. वैटिकन सिटी में पोप का सरकारी निवास वैटिकन पैलेस है. यह शहर की दीवारों के अंदर है.
पोप के बारे में कुछ और जानकारीः
पोप, रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु होते हैं.
पोप, रोम के बिशप भी होते हैं.
पोप, वैटिकन के राज्याध्यक्ष भी होते हैं.
पोप शब्द लैटिन के ‘पापा’ शब्द से बना है, जो ग्रीक के ‘पापास्’ शब्द से बना है.
पोप का शाब्दिक अर्थ ‘पिता’ होता है.
See lessWhat is the significance of "Rural Olympics" in Kila Raipur?
The Rural Olympics, also known as the Qila Raipur Sports Festival, is a significant annual event in Punjab, India that showcases the region's rural sports and culture. The festival is a celebration of physical strength and unity, and it promotes a healthy body and mind. Significance: Promotes healthRead more
- The Rural Olympics, also known as the Qila Raipur Sports Festival, is a significant annual event in Punjab, India that showcases the region’s rural sports and culture. The festival is a celebration of physical strength and unity, and it promotes a healthy body and mind.
- Significance:
- Promotes health and fitness
- The festival encourages people to be active and healthy.
- Shows Punjabi culture
- The festival is a celebration of Punjabi culture, where people of all backgrounds can participate.
- Promotes unity
- The festival shows how people from different backgrounds can come together to compete.
- Promotes women’s participation
- The festival has become more inclusive over time, with women participating in a variety of events.
- What happens at the festival?
- Sports: The festival includes traditional sports like cart racing, rope pulling, and athletic events. It also includes unique games like loading and unloading sacks, slow cycle races, and acrobatic stunts.
- Animal competitions: The festival features competitions for special breeds of animals, including bullocks, camels, dogs, and mules.
- Other activities: The festival also includes cultural programs.
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